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Hasne Lagi Bahan- (हसने लगी बहन )

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Hasne Lagi Bahan- (हसने लगी बहन ) मम्मी ! देखो ना,ये ठीक से बात नही करती | मुझ पर चिल्ला रही है | न जाने कैसी सब्जी बनाई है , मैंने ख़राब कह दिया तो नाराज हो रही है |'          ये बात हर दिन की थी | रोहित माँ से कोई न कोई शिकायत करता और बहन उसे चिढाते हुए हंसती रहती |... और एक दिन वो भी आया , जब बहन विदा हो रही थी , नए घर के लिए |           फिर न जाने क्यों, रोहित की आँखे से आंसुओ की धारा फुट पड़ी | वो समझ नही पा रहा था की उसके अन्दर बहन के लिए कैसा प्यार भरा पड़ा था | बहन - पास आकर खड़ी हुए, हँसते हुए बोली - 'अब तो खुश है न ! तेरी दुशमन हमेशा के लिए जा रही है | रो क्यों रहा है ?' रोहित का गला रुंध आया , चील्लाने की कोशिश करते हुए भी कराहने जैसी आवाज निकली , 'रो कोन रहा है | जा ना |'  बहन ने पीठ पर धोला जमाई | बोली, 'झुत्ठा  कही का | अब बता मेरे हाथ की सब्जी तुजे बुरी लगती थी न !'   -  हाँ ! रोहित मुंह फेरकर और जोर से सिरकने लगा | बहन की चुहल भरी हसी भी सिसकियो में बदल गयी थी |

Karo dhara ka Shrangar

करो धरा का श्रंगार नखरे एस बरसात के , क्या बतलाए मित्र  डरकर स्वागत मै धरा , बन जाती है मित्र  कुछ बुँदे आशाद की , जगा गए है प्यार , आस लगाए सावनी , करो धरा श्रंगार  जाते - जाते आम ने , कीजामुन से बात  मित्र मुबरको आपको , सावन की बरसात

Rakshabandhan (रक्षाबंधन)

Rakshabandhan (रक्षाबंधन) रक्षाबंधन नाम में ही बंधने का भाव् है | लेकिन सनेह , सम्मान , वचन बध्धता और कर्तव्य से एन  धागों को पिरोया जाए तो यह आजादी का सूत्र बन जाते है

Exam Ki Becheni

एग्जाम की बेचेनी  एग्जाम की बेचेनी आपने जनि, ना जानी तो सुन लो मेरी कहानी, घडी में बजी सात थी, जब मु पे बजी बारह थी , हर किसी के मुह पर एक ही बात थी , है एग्जाम केसा होगा, हाय एग्जाम केसा होगा एग्जामिनर केसा होगा,  कहानी का अगला भाग बोहतजल्द ही आनेवालाल है

Independence day

Independence day: 15 अगस्त हर भारतीय के लिए बड़े गर्व का दिन है इस दिन हमारा देश आजाद हुआ था , और आज में आपको इसी पर एक व्यतांत सुनना चाहूँगा ये कहानी हे एक लड़के की जो जर्मनी का निवासी था वह लड़का एक बारह वर्ष का स्कूल का विध्यार्ती था एक दिन जब वह स्कूल से घर लोट रहा था तो वह बड़ा खुस था वह लड़का मात्र बारह साल का होते हुए भी अपने देश से बहुत प्रेम करता था  जब वह घर जा रहा था तो घर जाने के लिए रस्ते में एक रेल की पटरी को क्रॉस करना पड़ता ह तब उस लड़के ने देखा की कोई ट्रेन तो नही आ रही है  उसके बाद उसने सोचा जल्दी से निकल जाता हु तभी वह जब पटरी क्रॉस कर रहा था तो उनके देश का राष्ट्रिय गान बजा तो वह लड़का उस गान को सुन कर उसी पटरी पर एस्तब्द हो कर खड़ा हो गया इतने में एक तरफ से ट्रेन आ रही थी ट्रेन चालक ने बोहत हॉर्न बजाय कित्नु वह बालक उस ट्रेन के सामने से नही हटा क्योकि वह अपने देश के गान का अपमान नही करना चाहता था  तो फिर जब वह छोटा बालक अपने देश के लिए इतना कुछ क्र सकता है तो हम लोग क्यों नही  happy independence day to all

Understanding

Forgetting yourself a moment When we understand Each other And then we lost in Each other. I just keep looking at you And I drowning in the Depth of your eyes. Fall in the depth of your heart and Only just to get  involved in you And understanding your every restraints Involving my breath  in your breath And finding  the reason For the distance I fall in to your blood And access in to your Vein and veins, I understanding your All pain. I see you silently And only see you So that I can understand Your every single lack In your heart. And understanding... your every heart beat... Your every dream  your every joy. And I final totally understand you.

Love lines

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लव शायरी

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तेरी जुल्फों की चादर में सांसो की तपन  मैं मर जाऊ ग़र मिल जाये तेरी माहोब्बत का क़फ़न। चाँद से ख़फ़ा चांदनी हो जाये  लौ से ख़फ़ा रोशनी हो जाये  सूरत ही बदल जाये इस महोब्बत की  गर आप से खफा हम हो जाये । ऐ खुदा तेरा ये कैसा इंतकाम हैं बरखा की हर बून्द पर उनका नाम है ग़र तेरे इश्क का नशा ना होता तो हम लापता ना होते तेरे शहर मे जब जब गुजरता हु तेरे शहर से साँसे थम जाती हैं मेरे साथ तेरे शहर की हवाएं भी बेवफ़ाई कर जाती हैं जिस दिन तेरी यादो की रात होगी उस दिन एक नई शुरुआत होगी तू कर ले सितम कितने ही मुझे भुलाने के किसी रोज तो तेरे लबो पे मेरी बात होगी

कलम

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ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी , मैने ही इतिहास लिखा हैं जानकर हैरानी | चलती हूँ खेत में हल की तरह कागज पर मन मोहक बुवाई मेरी लगती हैं सभी को सुहानी | ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी | मुझसे ही अस्तित्व में है इतिहास कथा कहानी ना झुकी ना रुकी करती थी हर दम मन मानी बेईमानो के हाथ लगी आज सह रही उनकी गुलामी ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी | झूठी वादे सब किये क्या बिजली क्या पानी सत्ता के बासिंदों की नियत ना किसी ने जानी निज स्वार्थ के कारण शोषण हो रहा जनता का बंजर हुई जमीन उपजाऊ नादान हुई किसानी | ना मेरा कोई इतिहास ना  मेरी कोई कहानी| चारों ओर प्रचंड फैली देश में भुखमरी गरीबी बीमारी लड़ने को इन सब से पलायन हो रहा युवा का शहरो में शोर बड़ा गाँव हुए वीरानी | ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी | मैने ही लिखे वेद उपदेश दस्ता -ए -आजादी पाश्चात्य संस्कृति में डूब भारतीय भूल गये हैं खादी | मुझ पर न एकाधिकार किसी का सेठ साहूकार वणिक सिपाही अपनाते हजारो बाजारी पंडित घट पाखंड भया लेखक मेरे पुजारी ना  मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी |

किसान

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हल चलाता तेज धुप में मैं माँ का पेट चिरता जाता हूँ खातिर भूख मिटाने को इस दुनिया की , मैं अन्नदाता कहलाता हूँ | विडम्बना बड़ी मेरे सामने देकर निवाला धन कुबेरों को गरीबी नित बुलाता हूँ | अन्नदाता होकर भी अपने परिवार को भूखा सुलता हूँ | ना कोई लोभ दोलत का अपनी गरीबी पर इतराता हु छोड़ निवाला अपना गेरो को खिलाता हु | भूख हरा सके मुझको उसकी इतनी ओकात कहाँ मुरझाया मुखमंडल भी खिलखिला देता हे जहाँ मुझे नही है चाहत की मैं महान बनू दलित हु मैं किसान हु बस चाहत इतनी सी है हर जन्म किसान बनू हर जन्म किसान बनू ||

आओ शहर बनाएँ

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काट-काट कानन कंकरीट के वन बनाये  आओ शहर बनाएं , सब मिलकर शहर बनाएं । गाँवों  की उड़ती धूल धुंए में बदल जाये  सारे अरमान सारे सपने धुंधले पड़ जाये  वो गाँवों की गालिया कुछ इस कदर भूल जाये   कि उनकी यादे आंखों मैं पानी ले आएं आओ शहर बनाएं , सब मिलकर शहर बनाएं।  खेल-कूद मनोरंजन के साधन, पब-क्लब बार बन जाये       वो रातो में  तारो को गिनना ,दोस्तों के साथ चुपा- चूपि खेलना  सब टी.वी. पर ही हो जाए  आओ शहर बनाएं सब मिलकर शहर बनाएं ।  ना थामे रिश्ते नातो की डोर  अपना  ही एक परिवार बनाएं , ना माँ बाप कुछ कह पाएं , सारे नाते भुलाकर  झूठे नोटों की सान बनाएं  आओ शहर बनाएं सब मिल कर  शहर बनाएं ।  जहां  ना कोई अपना हो ,जहां की भीड़ मैं खुद की पहचान ही खो जाएं  हमदर्दी अपनापन सब भुलाकर हैवानियत का नंगा नाच दिखाएं  देख कर अनदेखा कर दे खुद को इतना अनजान बनाएं   शहर बनाये सब मिलकर शहर बनाएं ।