कलम
मैने ही इतिहास लिखा हैं जानकर हैरानी |
चलती हूँ
खेत में हल की तरह कागज पर
मन मोहक बुवाई मेरी लगती हैं सभी को सुहानी |
ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी |
मुझसे ही अस्तित्व में है इतिहास कथा कहानी
ना झुकी ना रुकी करती थी हर दम मन मानी
बेईमानो के हाथ लगी आज सह रही उनकी गुलामी
ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी |
झूठी वादे सब किये क्या बिजली क्या पानी
सत्ता के बासिंदों की नियत ना किसी ने जानी
निज स्वार्थ के कारण शोषण हो रहा जनता का
बंजर हुई जमीन उपजाऊ नादान हुई किसानी |
ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी|
चारों ओर प्रचंड फैली देश में भुखमरी गरीबी बीमारी
लड़ने को इन सब से पलायन हो रहा युवा का
शहरो में शोर बड़ा गाँव हुए वीरानी |
ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी |
मैने ही लिखे वेद उपदेश दस्ता -ए -आजादी
पाश्चात्य संस्कृति में डूब भारतीय भूल गये हैं खादी |
मुझ पर न एकाधिकार किसी का
सेठ साहूकार वणिक सिपाही अपनाते हजारो बाजारी
पंडित घट पाखंड भया लेखक मेरे पुजारी
ना मेरा कोई इतिहास ना मेरी कोई कहानी |
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