आओ शहर बनाएँ


काट-काट कानन कंकरीट के वन बनाये 
आओ शहर बनाएं , सब मिलकर शहर बनाएं ।


गाँवों  की उड़ती धूल धुंए में बदल जाये 
सारे अरमान सारे सपने धुंधले पड़ जाये 
वो गाँवों की गालिया कुछ इस कदर भूल जाये  
कि उनकी यादे आंखों मैं पानी ले आएं
आओ शहर बनाएं , सब मिलकर शहर बनाएं। 


खेल-कूद मनोरंजन के साधन, पब-क्लब बार बन जाये      
वो रातो में  तारो को गिनना ,दोस्तों के साथ चुपा- चूपि खेलना 
सब टी.वी. पर ही हो जाए 
आओ शहर बनाएं सब मिलकर शहर बनाएं । 

ना थामे रिश्ते नातो की डोर  अपना  ही एक परिवार बनाएं ,
ना माँ बाप कुछ कह पाएं , सारे नाते भुलाकर 
झूठे नोटों की सान बनाएं 
आओ शहर बनाएं सब मिल कर  शहर बनाएं । 

जहां  ना कोई अपना हो ,जहां की भीड़ मैं खुद की पहचान ही खो जाएं 
हमदर्दी अपनापन सब भुलाकर हैवानियत का नंगा नाच दिखाएं 
देख कर अनदेखा कर दे खुद को इतना अनजान बनाएं 
 शहर बनाये सब मिलकर शहर बनाएं ।

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