लव शायरी





तेरी जुल्फों की चादर में सांसो की तपन 
मैं मर जाऊ ग़र मिल जाये तेरी माहोब्बत का क़फ़न।








चाँद से ख़फ़ा चांदनी हो जाये 
लौ से ख़फ़ा रोशनी हो जाये 
सूरत ही बदल जाये इस महोब्बत की 
गर आप से खफा हम हो जाये ।










ऐ खुदा तेरा ये कैसा इंतकाम हैं
बरखा की हर बून्द पर उनका नाम है








ग़र तेरे इश्क का नशा ना होता
तो हम लापता ना होते तेरे शहर मे








जब जब गुजरता हु तेरे शहर से साँसे थम जाती हैं
मेरे साथ तेरे शहर की हवाएं भी बेवफ़ाई कर जाती हैं






जिस दिन तेरी यादो की रात होगी
उस दिन एक नई शुरुआत होगी
तू कर ले सितम कितने ही मुझे भुलाने के
किसी रोज तो तेरे लबो पे मेरी बात होगी






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