Karo dhara ka Shrangar

करो धरा का श्रंगार

नखरे एस बरसात के , क्या बतलाए मित्र 
डरकर स्वागत मै धरा , बन जाती है मित्र 

कुछ बुँदे आशाद की , जगा गए है प्यार ,
आस लगाए सावनी , करो धरा श्रंगार 

जाते - जाते आम ने , कीजामुन से बात 
मित्र मुबरको आपको , सावन की बरसात

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